What is Astrology?

Astrology deals about the reading of stars. Here, reading of stars means analysing the SUN, MOON and the Planets present in the Solar System of the Earth. Planets move in the 12 houses of the zodiac, over the track of 27 stars. Planets emit the energy in the form of light, heat, electric and magnetic field that have strong influence on living things present on the earth. We can sense different seasons due to movement of the SUN position in one month on the earth. The MOON has the strong influence on the living things as it is the nearest to earth, as Moon waxes and wanes effect can be sense on wave of sea, like that effects on human beings also.

What is Natal Chart / Birth Chart?

Natal Chart / Birth Chart of a particular native is plotted based on his / her exact Date of Birth, Time of Birth & Place of Birth. Native personality & every important event in his / her life can be predicted based on given birth information’s. Hence, Natal Chart has placement of Planets in different houses at the time & location of birth of a native. Generally, Lagna & Lagnesh plays important role in Chart, after that position of SUN & MOON in chart plays role. Position of Ascendant / Lagna in the chart is based on given correct Birth Time, then all future events of native will match correctly.

What is Horary Chart?

Horary Astrology (Prashna Kundli) is a branch of astrology to give prediction in scientific way will be more accurate for one question asked by a person. Person not having accurate date of birth also can ask a question and get exact prediction. When a native will ask the question, means birth of question occurs in native mind, so horary chart will be created for that question only, further need time & place of the native asking the question.

ज्योतिष क्या है?

वैदिक शास्त्र एक प्रकार का विज्ञान है जो आकाश में स्थित सूर्य, चंद्रमा, नौ ग्रहों और नक्षत्रों का अध्ययन करता है और पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों के जीवन पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा बताता है। वैदिक ज्योतिष की गणना करते समय राशि चक्र, नवग्रह, जन्म राशि को आधार बनाया जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है जिससे दिन और रात पूरा होता है। पृथ्वी पश्चिम से पूरब दिशा में घूमती है। इस कारण सभी ग्रह, नक्षत्र और राशियाँ 24 घंटे में एक बार पूरब से पश्चिम दिशा में घूमती हुई दिखाई देती हैं।

जब कोई बालक जन्म लेता है उस समय अक्षांश और देशांतर में जो राशि पूर्व दिशा में उदित होती है वह राशि व्यक्ति का जन्म लग्न कहलाती है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में बैठा होता है उस राशि को जन्म राशि या चंद्र लग्न कहते हैं। पृथ्‍वी से देखने से ग्रह एक गोले में घूमते हुए से प्रतीत होते हैं इस गोले को राशिचक्र कहते हैं। इस राशिचक्र को अगर बारह बराबर भागों में बांटा जाये, तो हर एक भाग को एक राशि कहते हैं। इन बारह राशियों के नाम हैं- 1 मेष, 2 वृषभ, 3 मिथुन, 4 कर्क, 5 सिंह, 6 कन्‍या, 7 तुला, 8 वृश्चिक, 9 धनु, 10 मकर, 11 कुंभ और 12 मीन। एक गोले को गणित में 360 अंश यानि कि डिग्री में नापा जाता है। इसलिए एक राशि, जो राशिचक्र का बारहवाँ भाग है 360 भागित 12 यानि 30 अंश की हुई।

राशियों का निर्माण नक्षत्रों से हुआ है। तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल नक्षत्रों की संख्या 27 है। प्रत्येक नक्षत्र 13 डिग्री 20 मिनट का होता है। राशिचक्र में प्रत्येक राशि में 30 डिग्री होती है। राशिचक्र में सबसे पहला नक्षत्र अशिवनी है।

पहली राशि मेष का स्‍वामी है मंगल। वृषभ का शुक्र, मिथुन का बुध, कर्क का चंद्र, सिंह का सूर्य, कन्‍या का फिर से बुध, तुला का फिर से शुक्र, वृश्चिक का फिर से मंगल, धनु का गुरु, मकर और कुंभ शनि और मीन का गुरु। राहु केतु किसी भी राशि के स्‍वामी नहीं हैं।

ज्योतिष – एक ऐसा ज्ञान जो जीवन में ज्ञान का प्रकाश देता है। अर्थात एक ऐसा विज्ञान जिसमें खगोलीय पिंडों और उनकी गणनाओं द्वारा किसी भी व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है।

चन्द्रमा, बुध, शुक्र, गुरू शुभ ग्रह हैं। सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु चन्‍द्र एवं बुध को सदैव ही शुभ नहीं माना जाता। पूर्णिमा के पास का चन्‍द्र शुभ माना जाता है जबकि अमावस्‍या के पास का चन्‍द्र शुभ नहीं माना जाता। इसी प्रकार बुध अगर शुभ ग्रह के साथ हो तो शुभ होता है और यदि पापी ग्रह के साथ हो तो पापी हो जाता है।

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