Crystal healing

Crystal healing is a substitute way of treatment against disease by using crystals and stones other than medical technique as natural approach. Crystals are kept on appropriate part of a body for healing and permitting positive, healing energy to flow into the body and removing negative energy causing disease. Normally, healer will keep appropriate crystal on forehead, on throat area, on chest, on stomach, on the gut and genital area to align the chakra. Same way crystal can be worn or kept under pillows to ward off disease and absorb positive energy. For example, Amethyst is giving relax related to intestine issues, green aventurine beneficial for heart, etc.

Crystals are earth element, connecting, harmonizing and balancing within human body. Different crystals have different characteristics and used for different purposes based on chart or pointing of problem facing by a person. Whenever chakras are blocked inside a person will get issues related to that chakra. There are 7 chakras in human body as shown in below diagram and its characteristics in table.

ChakraElementColorResponsible for
Root chakraEarthRedSense of security and stability
Sacral chakraWaterOrangeSexual and creative energy, also relate to your emotions
Solar plexus chakraFireYellowConfidence and self-esteem
Heart chakraAirGreen and PinkAll about our ability to love and show compassion
Throat chakraEtherBlueAbility to communicate verbally
Third eye chakraLightIndigoIntuition. It’s also linked to imagination
Crown chakraNoneViolet or WhiteYour spiritual connection to yourself, others, and the universe.

क्या है क्रिस्टल थेरेपी?

मानसिक तनाव व शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए क्रिस्टल थेरेपी एक बेस्ट उपाय है। क्रिस्टल थेरेपी को क्रिस्टल हीलिंग भी कहते हैं।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जिसे देखो वो काम के दबाव से परेशान है। इससे लोगों में मानसिक रोग, तनाव जैसी समस्याएं हो रही हैं। तनाव कई रोगों का जड़ है। ऐसे में मानसिक तनाव व शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए क्रिस्टल थेरेपी एक बेस्ट उपाय है। क्रिस्टल थेरेपी में अलग-अलग तरह के पारदर्शी पत्थरों या ट्रांसपेरेंट क्रिस्टल का उपयोग किया जाता है। हर क्रिस्टल की अलग-अलग विशेषता होती है। उन्हीं विशेषताओं के आधार पर इनका उपयोग किया जाता है। ये सभी क्रिस्टल हीट कंडक्टर और ऊर्जा के अच्छे सुचालक होते हैं। इनसे कई तरह के रोगों का उपचार किया जा सकता है। 

क्रिस्टल थेरेपी से उपचार

क्रिस्टल थैरेपी जिसे क्रिस्टल हीलिंग भी कहते हैं, शारीरिक और मानसिक बीमारियों का इलाज करने का एक ऐसा प्रकार है जिसमें बिना दवा के व्यक्ति की बीमारी को दूर किया जाता है। इस थेरेपी में शरीर के कुछ निश्चित हिस्सों पर क्रिस्टल रखा या शरीर पर घुमाया जाता है। कहते हैं शरीर में सात चक्र होते हैं जहां पर पूरे शरीर की ऊर्जा एकत्रित रहती है। जब भी किसी चक्र की ऊर्जा असंतुलित होती है, तब शरीर के उस हिस्से में दर्द होने लगता है। क्रिस्टल थेरेपी के जरिए चक्रों को संतुलन में लाया जा सकता है। इससे शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस थेरेपी को करने से पहले यह जानना जरूरी है कि किस क्रिस्टल, किस रंग के क्रिस्टल का इस्तेमाल करना चाहिए और इन्हें शरीर के किस हिस्से पर रखने से लाभ होता है। जब इन क्रिस्टल को व्यक्ति के शरीर पर रखा जाता है तब हमारा शरीर इन क्रिस्टल में मौजूद रसायन और खनिज को अपनी ओर खींच लेता है। जिससे इसके सभी गुण हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं।

क्रिस्टल से कैसे होता है इलाज

क्रिस्टल पृथ्वी में पाए जाते हैं, इसके अन्दर रसायन-खनिज होते हैं। जब इन क्रिस्टल को त्वचा पर रखा जाता है, तब त्वचा इन रसायन और खनिज को सोख लेती है, जिससे यह हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि हमारा शरीर उतना ही रसायन-खनिज अवशोषित करेगा, जितने की उसको जरूरत है। साथ ही इन क्रिस्टल से कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।

क्रिस्टल थेरेपी के लाभ

क्रिस्टल थैरेपी का प्रयोग मुख्य रूप से स्ट्रेस, शारीरिक दर्द, ऐंठन, एंजाइटी, सिर दर्द, शारीरिक और मानसिक कमजोरी, हाथ पैरों में जकड़न, नींद की कमी और याददाश्त कमजोर होने की स्थिति में किया जाता है और यह काफी कारगार भी होता है।

कुछ क्रिस्टल ऐसे भी होते हैं जिन्हें थैरेपी के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों में एमिथिस्ट, रोडोनाइट, ओपल और गुलाब क्वार्ट्ज शामिल हैं। एमिथिस्ट में ऐसी शक्तियां पाई जाती हैं जो आंतों और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं। ग्रीन एवेन्ट्यूरिन जैसे पत्थर, हृदय रोगों से बचाने का काम करते हैं, जबकि येलो टोपाज़ जैसे क्रिस्टल दिमागी ब्लॉकेज और डिप्रेशन के लिए प्रयोग किए जाते हैं। बता दें कि जब क्रिस्टल को शरीर पर रखा जाता है तो यह बहुत भारी लगते हैं। लेकिन जब व्यक्ति को पत्थरों का भार सामान्य महसूस होने लगे तो समझ जाना चाहिए कि इलाज हो गया है।

क्रिस्टल हीलिंग की 4 मूलभूत तकनीक

  1. सफाई –  गंदा ऊर्जा को हटाने की प्रक्रिया है.
  2. चार्ज – प्राणिक ऊर्जा क्रिस्टल में डालने की प्रक्रिया है.
  3. प्रोग्रामिंग – क्रिस्टल के लिए निर्देश देने की प्रक्रिया है.
  4. स्थिर – किया जाता है ताकि अवशोषित प्राणिक ऊर्जा क्रिस्टल में लंबे समय तक रहना होगा.

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